गेहूं में पहला पानी और खाद कब दें..पहले पाणी पर यह खाद डालना ; किसान भाइयों, गेहूं की फसल में पहला पानी (सिंचाई) देना एक निर्णायक कदम होता है, क्योंकि यही वह समय है जब पौधे के विकास की नींव रखी जाती है। आमतौर पर, पहला पानी बुवाई के लगभग 21 दिन बाद देने की सलाह दी जाती है। इस अवस्था को ‘सीआरआई’ (क्राउन रूट इनिशिएशन) स्टेज कहा जाता है, जब पुरानी जड़ें समाप्त होकर नई, मोटी और मजबूत जड़ें निकलना शुरू होती हैं, जो पौधे को आखिरी तक पोषण देती हैं।
हालांकि, खेत की मिट्टी, बिजाई के समय और मौसम की स्थिति के आधार पर यह समय 18 दिन से लेकर 30 दिन के बीच बदल सकता है। यह सुनिश्चित करें कि आप 18 दिन से पहले और 30 दिन के बाद देरी से पानी न दें, वरना फुटाव (कल्लों की संख्या) प्रभावित हो सकता है।
पहले पानी के साथ सही खाद का प्रयोग कल्लों की संख्या को बढ़ाता है, जिससे पैदावार में वृद्धि होती है। इस समय गेहूं की फसल को चार मुख्य पोषक तत्वों- नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और जिंक की आवश्यकता होती है। नाइट्रोजन (यूरिया) की मात्रा प्रति एकड़ 30 से 45 किलोग्राम तक रखी जानी चाहिए, जिसे दूसरे पानी तक पूरा कर देना चाहिए। फास्फोरस के लिए, यदि बुवाई के समय डीएपी नहीं दिया गया है, तो पहले पानी के साथ 30 किलोग्राम डीएपी या 50 किलोग्राम एनपीके (जैसे 12:32:16) का प्रयोग कर सकते हैं।
ध्यान रखें: डीएपी और एनपीके में नाइट्रोजन पहले से होती है, इसलिए इनके साथ यूरिया की मात्रा कम डालें। इसके अतिरिक्त, पोटाश (एमओपी 60%) की 20 से 25 किलोग्राम मात्रा डालना जरूरी है, क्योंकि यह प्रमुख पोषक तत्वों में आता है और उपज को प्रभावित करता है।
फसल में फुटाव और स्वस्थ बढ़वार के लिए जिंक सल्फेट (21% वाला 10 किलोग्राम या 33% वाला 7 किलोग्राम प्रति एकड़) भी आवश्यक है, जिसे यूरिया के साथ मिलाकर डाला जा सकता है। एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात यह है कि जिंक को कभी भी डीएपी, एसएसपी या एनपीके जैसी फास्फोरस युक्त खादों के साथ नहीं मिलाना चाहिए। अगर आप डीएपी का प्रयोग कर रहे हैं, तो जिंक को दूसरे पानी पर उपयोग करें।
मिट्टी में सल्फर की कमी होने पर 80% सल्फर WDG (3 किलोग्राम प्रति एकड़) भी लाभकारी होता है और फंगीसाइड का काम करता है। अगर खेत में दीमक का प्रकोप है, तो 100 मिलीलीटर कॉन्फीडोर (इमिडाक्लोप्रिड) को यूरिया के साथ मिलाकर डालने से इसका नियंत्रण प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।